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आँजणा समाज के लिए 08.10.2015 यह वह ऐतिहासिक दिन है इसी दिन श्री राजेश्वर भगवान अन्नपूर्णा आँजणी माता धाम नया चेण्डा की पीठाधीश्वर साध्वी भगवती बाईजी ने आज जो आँजणा समाज का द्वारका में आश्रम है उसमें पहला कदम रखा था
आँजणा समाज का आश्रम (सुभद्रा मंदिर ) बनाने के लिए द्वारका में भुमि की खरीदी किया और आश्रम बनाकर २०१६ का चातुर्मास करने की घोषणा किया
सुभद्रा माता के बारे में ज्यादा जानकारी ऐसी है चार धामो में जगन्नाथ पुरी धाम जो कलयुग का जीवित धाम है
१. सतयुग == बद्रीनाथ धाम
२. त्रेतायुग == रामेश्वरम धाम
३. दाय्पर युग == द्वारका धाम
४.कलयुग युग == जगन्नाथपुरी धाम
जगन्नाथ पुरी में
१ . जगन्नाथ = क्रष्ण भगवान
२. सुभद्रा = सुभद्रा माता
३. बलभद्र == बलरामजी
कलयुग का धाम जगन्नाथ पुरी धाम में दोनों भाई के साथ सुभद्रा माता कलयुग की देवी है रथ यात्रा के समय भी जगन्नाथजी के साथ एक रथ पर सुभद्रा माता भी संसार के बीच आकर जगत को दर्शन देती है
आज द्वारका में सुभद्रा मंदिर की जगह का रहस्य ही बना हुआ था ऐसा ही रहस्य चेण्डा में पांडवों के मंदिर के बारे में भी था लेकिन समय आते सब देवभूमि उजागर होकर संसार के सामने आएगी
इस गुरूपुर्णीमा 19.07.2016 के दिन साध्वी भगवती बाईजी ने द्वारका आश्रम में यह रहस्य भी संसार के सामने उजागर किया की यह जगह पर ही सुभद्रा का बगिचा था और राजारामजी पहली बार शिकारपुरा से द्वारका डडोत प्रणाम करते हुए पधारे थे उस समय द्वारकानाथ और सुभद्रा के साथ पांडवों सहित देवताओं का मिलन राजारामजी का इसी जगह पर हुआ था वही जगह पर आज आँजणा समाज का आश्रम बना है और आप लोग इसमें भागीदार बने हो
यह जगह द्वारका से १० किलोमीटर दुर चरकला गाँव से पहले जामनगर हाईवे पर है और साध्वी भगवती बाईजी का इस बर्ष २०१६ का चातुर्मास स्थल है
द्वारका में खारा पानी है यह २ किलोमीटर एरिया ही हरा भरा है बाकी द्वारका के आसपास 50 किलोमीटर तक पानी नहीं हैं इस बिच में आँजणा समाज का आश्रम में मिठा पानी सुभद्रा का बगीचे का साक्षी बनकर आज भी संसार के सामने मौजूद है जामनगर हाईवे पर स्वामिनारायण बाङी (गौशाला ) से आँजणा समाज का आश्रम तक २ किलोमीटर तक पुरा हरा भरा एरिया है बाकी जगह पर पानी खारा है
माताजी ने बताया इसी जगह से ही सुभद्रा का हरण हुआ था
सुभद्रा अर्जुनजी यहाँ से रथ में बेठकर सिधे चेण्डा पहुँच कर विश्राम किया था बाद में द्वारका की सेना और बलरामजी के साथ क्रष्ण भगवान ने आकर सुभद्रा अर्जुन दोनों का धुम धाम से विवाह करवाने की सहमति देकर सेना को लङाई करने से रोका था
इससे पहले बलरामजी सुभद्रा का विवाह दुर्योधन के साथ तय कर चुके थे क्रष्ण भगवान को यह मंजूर नहीं था और सुभद्रा भी अर्जुन को पंसद करतीं थी इसलिए क्रष्ण भगवान ने योजना बनाकर दोनो को रथ से भागने का रास्ता बताया था और रथ सुभद्रा को हाकंने को कहा था
सुभद्रा बगीचे में उस समय के मंदिर में सहेलियों के साथ दर्शन कर रहीं तभी अर्जुन रथ लेकर पहुचते है और सुभद्रा भागकर रथपर चढ़कर रथ को दोङाते हुए भाग जाते है सहेलियों देखते ही रहती है और फीर द्वारका आकर पुरी बात बताती है
बलरामजी यह बात सुनकर कोर्धित होकर द्वारका की सेना को तुरन्त आदेश देते है और सेना अर्जुन को पकङने के लिए निकल जाती है बलरामजी क्रष्ण भगवान को भी सुना रहें थे अर्जुन की इतनी हिम्मत केसे हुई मेरी बहन का हरण करने की क्रष्ण भगवान जानते थे की बलराम भाई का गुस्सा कम होने तक बोलना ठीक नहीं है फीर बलरामजी थोङे शान्त हुए तब क्रष्ण भगवान ने सुभद्रा की सहेलियो को बुलाया और पुछा और बलरामजी को भी सुनने को कहा क्रष्णा ने कहा घटना की पुरी जानकारी दो आप सब क्या कर रहीं थी तभी सहेलियों ने बताया की हमारे को समझ में आता तब तक तो वह भाग गयें क्रष्णा ने कहा अर्जुन ने जोर जबरदस्ती कीया तब आप क्या कर रही थी तब सुभद्रा की सहेलीयो ने बताया अर्जुन रथ लेकर खङे थे तभी सुभद्रा दोङकर रथ पर बैठ गयी और अर्जुन तो मना कर रहें थे की इस प्रकार भागना दोनो के लिए ठीक नहीं है लेकिन अर्जुन की जगह खुद सुभद्रा रथ को दोङाकर भागेे है
क्रष्ण भगवान सब जानकर भी बलरामजी को शान्त करने के लिए सवाल पुछ रहे थे और फीर बलरामजी से बोले भैया सुभद्रा तो अर्जुन के साथ मर्जी से गयी है और अर्जुन भी नहीं चाहता था इस तरह लेकिन सुभद्रा खुद रथ चलाकर भागी है बलरामजी ने कहाँ सेना को भेज दिया अभी क्या करें तभी क्रष्ण भगवान बलरामजी को साथ लेकर आज के चेण्डा घाम है यहाँ पर आकर सुभद्रा अर्जुन को मिलकर घुम धाम से विवाह करने की बात कर द्वारका और हस्तिनापुर से लाखों लोगो की साक्षी में दोनो का विवाह करवाते है चेण्डा के पास दिवान्दी गाँव में तोरणिया मठ जगह है यहाँ पर तोरण की रस्म हुई थी
चेण्डा धाम में उस समय सुभद्रा अर्जुनजी ने अग्नि की साक्षी में विवाह बंधन में बंधे थे उसी जगह पर चेण्डा धाम में पाण्डवों के मंदिर के सामने यज्ञशाला बनी है और जो रथ है यहाँ पर सुभद्रा अर्जुनजी का रथ द्वारका से आकर रूका था सुभद्रा अर्जुनजी की देवभूमि पर चेण्डा में भव्य सुभद्रा अर्जुन सहित पांडवों का मंदिर बना है यह सुभद्रा अर्जुनजी के साथ पुरे संसार में यह पहला मंदिर है
देवभूमि का रहस्य कोई तपस्वी या अवतारी ही खोज कर संसार के सामने उजागर कर सकते है उनका उद्देश्य ही जगत कल्याण और प्रभु की ईच्छा और आदेशों की पालना करने की होती है माताजी समय समय पर कहती है जैसे प्रभु की ईच्छा मेरे को तो उनकी आज्ञा की पालना करनी है करनेवाले वही है इसी में सब सार मिल जाता है
द्वारका आश्रम के लिए माताजी ने नाशिक २०१५ के महाकुम्भ से पहले ही खंबाला आश्रम में गुजरात से गुरूपुर्णीमा के दिन आश्रम में दर्शन को पधारे श्री बाबराभाई श्री वोताभाई सहित पाँच लोगो को द्वारका में आश्रम के लिए भुमि देखने के लिए जाने का आदेश दिया था आप लोग १५ दिन अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में द्वारका जाकर पहले द्वारकानाथ को अर्ज कर बता देना की हम आपकी बहन सुभद्रा के झौपङी के लिए जगह देखने के लिए आए है सो हमें दिशा और जगह दिखाने की व्यवस्था करवाने की दया करना
माताजी ने कहा मेरा कह देना की आपकी भगवती नाशिक में आपके आदेश की पालना कर रहीं है रूपये पैसे लेन देन सब व्यवस्था आपको करनी है
यहाँ नाशिक में भी उधार से काम चला रही हैं पुरे नाशिक कुम्भ मेले की व्यवस्था और द्वारका में जगह की सब आपको ही करनी है यह संदेश द्वारकानाथ को मेरी तरफ से बता देना और द्वारकानाथ से अनुमति लेकर जगह देखने के लिए निकल जाना
जगह देखकर बातचित करके रखना चातुर्मास पुर्ण होने के बाद मे हम द्वारकानाथ को मिलकर आश्रम की जगह भुमि तय कर चेण्डा जायेगें
माताजी के आदेश मुजब ही बाबराभाई और वोताभाई ने द्वारका जाकर द्वारकानाथ के दर्शन कर माताजी के बताये अनुसार प्रभु से अर्ज कर माताजी को फोन से बात किया उस समय माताजी ने द्वारका से १० किलोमीटर पहलें रास्ते में जहाँ हरा भरा ऐरिया और लोगों के घर बेरे है उनसे मिलना
माताजी के आदेश मुजब बाबराभाई वोताभाई ने जगह देखकर ४से ५ जगह बातचीत किया
जगह देखकर द्वारका आकर माताजी को बता दिया और माताजी ने आज द्वारका रूक जाना कल वापस घर चले जाना माताजी की आदेश की पालना कर सभी लोग द्वारका में रूक गये
उधर शाम को अाज जो आश्रम बना है यह जगह के मालिक अहीर यादवो के चारों भाईयों ने मिलकर चर्चा किया और बुजुर्गों ने १५ से २० साल पुरानी बातों याद कर कहाँ की महात्मा आये थे उन्होंने बताया था की यह देवभूमि है और इसके लिए आपके पास १० से १५ साल बाद जब भी कोई देवताओं के आश्रम के लिए जमिन लेने आएं तो दे देना यहाँ भव्य मंदिर बनेगा यह देव भुमि है
चारों भाईयो के परिवार ने तय किया की अगर महात्माजी के बताये मुजब ही कोई देवताओं के लिए जमिन लेने आए है तो मना नहीं करना चाहिये और बाबराभाई को फोनकर बताया की माताजी को आने के समय हम इस भुमि के बारे में भी बात कर लेगें
माताजी ने त्रयंबकेश्वर मंदिर में रोज अभिषेक और कुशावर्त कुंड में स्नान करने जाते समय यह सब गाङी में अपने भक्तों के बीच बताते हुए कहा था यहीं अहीर अपने को जमिन देगें
नाशिक महाकुम्भ से चातुर्मास पुर्ण कर द्वारका गये उस समय आँजणा समाज के 50 से ज्यादा सदस्यों के साथ माताजी और चेण्डा आश्रम से भगत पदमारामजी आश्रम के लिए भुमि देखने निकलें दो से तीन जगह रूककर माताजी को बताया लेकिन माताजी ने गाङी के अन्दर बेठे ही मनाई कर दिया जैसे ही आज जो आश्रम बना है यह जगह आते ही गाङी से उतरकर माताजी पैदल ही घरों से पहले बाङ कुदकर खेत में पहँच गयें
और खेत में बेठकर जगह का सौदा नक्की कर चेण्डा आश्रम के लिए प्रस्थान किया
13.07.2016 एकादशी के दिन मंदिर में तस्वीर स्थापना कर हवनकुण्ड में अग्नि की स्थापना कर पुर्णाआहुती कर अहीर समाज की माताओं व उपस्थित सभी सदस्यों को अचानक वह बात माताजी ने याद दिलाई उस समय अहीर यादव समाज की राधे माँ को नाम से पुकारते हुए माताजी ने बताया की जो महात्मा आपके पास आये वह द्वारकानाथ थे आपको बाबाजी ने बताया था यह देवभूमि है यह लो मंदिर में पुजा चालु हो गई यह द्रश्य देखने लायक था अहीर यादव समाज की माताओं के इतना भाव विभोर होना अद्भुत द्रश्य था और इन्द्र देव ने उपस्थिति देकर पुरा आश्रम सहित द्वारका क्षेत्र जोरदार बरसात कर स्वागत किया
जय द्वारकानाथ की
जय सुभद्रा माता की
जय राजेश्वर भगवान की
जय अन्नपूर्णा माता की
जय आँजणी माता की
जय हंजा मैया की
द्वारका घाम की जय
शिकारपुरा धाम की जय
चेण्डा धाम की जय
धन्य है आँजणा समाज जिस कुल में स्वंय भगवान ने राजेश्वर रुप मे अवतार लिया
जय राजेश्वर
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आँजणा समाज के लिए 08.10.2015 यह वह ऐतिहासिक दिन है इसी दिन श्री राजेश्वर भगवान अन्नपूर्णा आँजणी माता धाम नया चेण्डा की पीठाधीश्वर साध्वी भगवती बाईजी ने आज जो आँजणा समाज का द्वारका में आश्रम है उसमें पहला कदम रखा था
आँजणा समाज का आश्रम (सुभद्रा मंदिर ) बनाने के लिए द्वारका में भुमि की खरीदी किया और आश्रम बनाकर २०१६ का चातुर्मास करने की घोषणा किया
सुभद्रा माता के बारे में ज्यादा जानकारी ऐसी है चार धामो में जगन्नाथ पुरी धाम जो कलयुग का जीवित धाम है
१. सतयुग == बद्रीनाथ धाम
२. त्रेतायुग == रामेश्वरम धाम
३. दाय्पर युग == द्वारका धाम
४.कलयुग युग == जगन्नाथपुरी धाम
जगन्नाथ पुरी में
१ . जगन्नाथ = क्रष्ण भगवान
२. सुभद्रा = सुभद्रा माता
३. बलभद्र == बलरामजी
कलयुग का धाम जगन्नाथ पुरी धाम में दोनों भाई के साथ सुभद्रा माता कलयुग की देवी है रथ यात्रा के समय भी जगन्नाथजी के साथ एक रथ पर सुभद्रा माता भी संसार के बीच आकर जगत को दर्शन देती है
आज द्वारका में सुभद्रा मंदिर की जगह का रहस्य ही बना हुआ था ऐसा ही रहस्य चेण्डा में पांडवों के मंदिर के बारे में भी था लेकिन समय आते सब देवभूमि उजागर होकर संसार के सामने आएगी
इस गुरूपुर्णीमा 19.07.2016 के दिन साध्वी भगवती बाईजी ने द्वारका आश्रम में यह रहस्य भी संसार के सामने उजागर किया की यह जगह पर ही सुभद्रा का बगिचा था और राजारामजी पहली बार शिकारपुरा से द्वारका डडोत प्रणाम करते हुए पधारे थे उस समय द्वारकानाथ और सुभद्रा के साथ पांडवों सहित देवताओं का मिलन राजारामजी का इसी जगह पर हुआ था वही जगह पर आज आँजणा समाज का आश्रम बना है और आप लोग इसमें भागीदार बने हो
यह जगह द्वारका से १० किलोमीटर दुर चरकला गाँव से पहले जामनगर हाईवे पर है और साध्वी भगवती बाईजी का इस बर्ष २०१६ का चातुर्मास स्थल है
द्वारका में खारा पानी है यह २ किलोमीटर एरिया ही हरा भरा है बाकी द्वारका के आसपास 50 किलोमीटर तक पानी नहीं हैं इस बिच में आँजणा समाज का आश्रम में मिठा पानी सुभद्रा का बगीचे का साक्षी बनकर आज भी संसार के सामने मौजूद है जामनगर हाईवे पर स्वामिनारायण बाङी (गौशाला ) से आँजणा समाज का आश्रम तक २ किलोमीटर तक पुरा हरा भरा एरिया है बाकी जगह पर पानी खारा है
माताजी ने बताया इसी जगह से ही सुभद्रा का हरण हुआ था
सुभद्रा अर्जुनजी यहाँ से रथ में बेठकर सिधे चेण्डा पहुँच कर विश्राम किया था बाद में द्वारका की सेना और बलरामजी के साथ क्रष्ण भगवान ने आकर सुभद्रा अर्जुन दोनों का धुम धाम से विवाह करवाने की सहमति देकर सेना को लङाई करने से रोका था
इससे पहले बलरामजी सुभद्रा का विवाह दुर्योधन के साथ तय कर चुके थे क्रष्ण भगवान को यह मंजूर नहीं था और सुभद्रा भी अर्जुन को पंसद करतीं थी इसलिए क्रष्ण भगवान ने योजना बनाकर दोनो को रथ से भागने का रास्ता बताया था और रथ सुभद्रा को हाकंने को कहा था
सुभद्रा बगीचे में उस समय के मंदिर में सहेलियों के साथ दर्शन कर रहीं तभी अर्जुन रथ लेकर पहुचते है और सुभद्रा भागकर रथपर चढ़कर रथ को दोङाते हुए भाग जाते है सहेलियों देखते ही रहती है और फीर द्वारका आकर पुरी बात बताती है
बलरामजी यह बात सुनकर कोर्धित होकर द्वारका की सेना को तुरन्त आदेश देते है और सेना अर्जुन को पकङने के लिए निकल जाती है बलरामजी क्रष्ण भगवान को भी सुना रहें थे अर्जुन की इतनी हिम्मत केसे हुई मेरी बहन का हरण करने की क्रष्ण भगवान जानते थे की बलराम भाई का गुस्सा कम होने तक बोलना ठीक नहीं है फीर बलरामजी थोङे शान्त हुए तब क्रष्ण भगवान ने सुभद्रा की सहेलियो को बुलाया और पुछा और बलरामजी को भी सुनने को कहा क्रष्णा ने कहा घटना की पुरी जानकारी दो आप सब क्या कर रहीं थी तभी सहेलियों ने बताया की हमारे को समझ में आता तब तक तो वह भाग गयें क्रष्णा ने कहा अर्जुन ने जोर जबरदस्ती कीया तब आप क्या कर रही थी तब सुभद्रा की सहेलीयो ने बताया अर्जुन रथ लेकर खङे थे तभी सुभद्रा दोङकर रथ पर बैठ गयी और अर्जुन तो मना कर रहें थे की इस प्रकार भागना दोनो के लिए ठीक नहीं है लेकिन अर्जुन की जगह खुद सुभद्रा रथ को दोङाकर भागेे है
क्रष्ण भगवान सब जानकर भी बलरामजी को शान्त करने के लिए सवाल पुछ रहे थे और फीर बलरामजी से बोले भैया सुभद्रा तो अर्जुन के साथ मर्जी से गयी है और अर्जुन भी नहीं चाहता था इस तरह लेकिन सुभद्रा खुद रथ चलाकर भागी है बलरामजी ने कहाँ सेना को भेज दिया अभी क्या करें तभी क्रष्ण भगवान बलरामजी को साथ लेकर आज के चेण्डा घाम है यहाँ पर आकर सुभद्रा अर्जुन को मिलकर घुम धाम से विवाह करने की बात कर द्वारका और हस्तिनापुर से लाखों लोगो की साक्षी में दोनो का विवाह करवाते है चेण्डा के पास दिवान्दी गाँव में तोरणिया मठ जगह है यहाँ पर तोरण की रस्म हुई थी
चेण्डा धाम में उस समय सुभद्रा अर्जुनजी ने अग्नि की साक्षी में विवाह बंधन में बंधे थे उसी जगह पर चेण्डा धाम में पाण्डवों के मंदिर के सामने यज्ञशाला बनी है और जो रथ है यहाँ पर सुभद्रा अर्जुनजी का रथ द्वारका से आकर रूका था सुभद्रा अर्जुनजी की देवभूमि पर चेण्डा में भव्य सुभद्रा अर्जुन सहित पांडवों का मंदिर बना है यह सुभद्रा अर्जुनजी के साथ पुरे संसार में यह पहला मंदिर है
देवभूमि का रहस्य कोई तपस्वी या अवतारी ही खोज कर संसार के सामने उजागर कर सकते है उनका उद्देश्य ही जगत कल्याण और प्रभु की ईच्छा और आदेशों की पालना करने की होती है माताजी समय समय पर कहती है जैसे प्रभु की ईच्छा मेरे को तो उनकी आज्ञा की पालना करनी है करनेवाले वही है इसी में सब सार मिल जाता है
द्वारका आश्रम के लिए माताजी ने नाशिक २०१५ के महाकुम्भ से पहले ही खंबाला आश्रम में गुजरात से गुरूपुर्णीमा के दिन आश्रम में दर्शन को पधारे श्री बाबराभाई श्री वोताभाई सहित पाँच लोगो को द्वारका में आश्रम के लिए भुमि देखने के लिए जाने का आदेश दिया था आप लोग १५ दिन अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में द्वारका जाकर पहले द्वारकानाथ को अर्ज कर बता देना की हम आपकी बहन सुभद्रा के झौपङी के लिए जगह देखने के लिए आए है सो हमें दिशा और जगह दिखाने की व्यवस्था करवाने की दया करना
माताजी ने कहा मेरा कह देना की आपकी भगवती नाशिक में आपके आदेश की पालना कर रहीं है रूपये पैसे लेन देन सब व्यवस्था आपको करनी है
यहाँ नाशिक में भी उधार से काम चला रही हैं पुरे नाशिक कुम्भ मेले की व्यवस्था और द्वारका में जगह की सब आपको ही करनी है यह संदेश द्वारकानाथ को मेरी तरफ से बता देना और द्वारकानाथ से अनुमति लेकर जगह देखने के लिए निकल जाना
जगह देखकर बातचित करके रखना चातुर्मास पुर्ण होने के बाद मे हम द्वारकानाथ को मिलकर आश्रम की जगह भुमि तय कर चेण्डा जायेगें
माताजी के आदेश मुजब ही बाबराभाई और वोताभाई ने द्वारका जाकर द्वारकानाथ के दर्शन कर माताजी के बताये अनुसार प्रभु से अर्ज कर माताजी को फोन से बात किया उस समय माताजी ने द्वारका से १० किलोमीटर पहलें रास्ते में जहाँ हरा भरा ऐरिया और लोगों के घर बेरे है उनसे मिलना
माताजी के आदेश मुजब बाबराभाई वोताभाई ने जगह देखकर ४से ५ जगह बातचीत किया
जगह देखकर द्वारका आकर माताजी को बता दिया और माताजी ने आज द्वारका रूक जाना कल वापस घर चले जाना माताजी की आदेश की पालना कर सभी लोग द्वारका में रूक गये
उधर शाम को अाज जो आश्रम बना है यह जगह के मालिक अहीर यादवो के चारों भाईयों ने मिलकर चर्चा किया और बुजुर्गों ने १५ से २० साल पुरानी बातों याद कर कहाँ की महात्मा आये थे उन्होंने बताया था की यह देवभूमि है और इसके लिए आपके पास १० से १५ साल बाद जब भी कोई देवताओं के आश्रम के लिए जमिन लेने आएं तो दे देना यहाँ भव्य मंदिर बनेगा यह देव भुमि है
चारों भाईयो के परिवार ने तय किया की अगर महात्माजी के बताये मुजब ही कोई देवताओं के लिए जमिन लेने आए है तो मना नहीं करना चाहिये और बाबराभाई को फोनकर बताया की माताजी को आने के समय हम इस भुमि के बारे में भी बात कर लेगें
माताजी ने त्रयंबकेश्वर मंदिर में रोज अभिषेक और कुशावर्त कुंड में स्नान करने जाते समय यह सब गाङी में अपने भक्तों के बीच बताते हुए कहा था यहीं अहीर अपने को जमिन देगें
नाशिक महाकुम्भ से चातुर्मास पुर्ण कर द्वारका गये उस समय आँजणा समाज के 50 से ज्यादा सदस्यों के साथ माताजी और चेण्डा आश्रम से भगत पदमारामजी आश्रम के लिए भुमि देखने निकलें दो से तीन जगह रूककर माताजी को बताया लेकिन माताजी ने गाङी के अन्दर बेठे ही मनाई कर दिया जैसे ही आज जो आश्रम बना है यह जगह आते ही गाङी से उतरकर माताजी पैदल ही घरों से पहले बाङ कुदकर खेत में पहँच गयें
और खेत में बेठकर जगह का सौदा नक्की कर चेण्डा आश्रम के लिए प्रस्थान किया
13.07.2016 एकादशी के दिन मंदिर में तस्वीर स्थापना कर हवनकुण्ड में अग्नि की स्थापना कर पुर्णाआहुती कर अहीर समाज की माताओं व उपस्थित सभी सदस्यों को अचानक वह बात माताजी ने याद दिलाई उस समय अहीर यादव समाज की राधे माँ को नाम से पुकारते हुए माताजी ने बताया की जो महात्मा आपके पास आये वह द्वारकानाथ थे आपको बाबाजी ने बताया था यह देवभूमि है यह लो मंदिर में पुजा चालु हो गई यह द्रश्य देखने लायक था अहीर यादव समाज की माताओं के इतना भाव विभोर होना अद्भुत द्रश्य था और इन्द्र देव ने उपस्थिति देकर पुरा आश्रम सहित द्वारका क्षेत्र जोरदार बरसात कर स्वागत किया
जय द्वारकानाथ की
जय सुभद्रा माता की
जय राजेश्वर भगवान की
जय अन्नपूर्णा माता की
जय आँजणी माता की
जय हंजा मैया की
द्वारका घाम की जय
शिकारपुरा धाम की जय
चेण्डा धाम की जय
धन्य है आँजणा समाज जिस कुल में स्वंय भगवान ने राजेश्वर रुप मे अवतार लिया
जय राजेश्वर