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गुरुवार, 30 अगस्त 2018

जय श्री राजेश्वर भगवान दस मिनट का समय निकलकर जरूर पढें वो एतिहासिक दिन

10 मिनट का समय निकाल कर एक बार अवश्य पूरा पढ़े
#शेयर_जरूर_करे
 आँजणा समाज के लिए  08.10.2015 यह वह ऐतिहासिक दिन है  इसी दिन श्री राजेश्वर भगवान अन्नपूर्णा आँजणी माता धाम नया चेण्डा की पीठाधीश्वर साध्वी भगवती बाईजी ने  आज जो आँजणा समाज का  द्वारका में आश्रम है उसमें पहला कदम रखा था
 आँजणा समाज का  आश्रम (सुभद्रा मंदिर ) बनाने के लिए द्वारका में भुमि की खरीदी किया और  आश्रम बनाकर २०१६ का चातुर्मास करने की घोषणा किया

सुभद्रा माता के बारे में ज्यादा जानकारी ऐसी है चार धामो में जगन्नाथ पुरी धाम जो कलयुग का जीवित धाम है
१. सतयुग == बद्रीनाथ धाम
२. त्रेतायुग  == रामेश्‍वरम  धाम
३. दाय्पर युग  == द्वारका धाम
४.कलयुग युग  == जगन्नाथपुरी धाम
जगन्नाथ पुरी में
१ . जगन्नाथ = क्रष्ण भगवान
२. सुभद्रा  = सुभद्रा माता
३. बलभद्र  == बलरामजी
कलयुग का धाम जगन्नाथ पुरी धाम में दोनों भाई के साथ सुभद्रा माता  कलयुग की देवी है रथ यात्रा के समय भी जगन्नाथजी के साथ एक रथ पर सुभद्रा माता भी संसार के बीच आकर जगत को दर्शन देती है

आज द्वारका में सुभद्रा मंदिर  की जगह का रहस्य ही बना हुआ था ऐसा ही रहस्य चेण्डा में पांडवों के मंदिर के बारे में भी था लेकिन समय आते सब देवभूमि उजागर होकर संसार के सामने आएगी 
इस गुरूपुर्णीमा 19.07.2016  के दिन साध्वी भगवती बाईजी ने द्वारका आश्रम में यह रहस्य भी संसार के सामने उजागर किया  की यह जगह पर ही सुभद्रा का बगिचा  था और राजारामजी पहली बार शिकारपुरा से द्वारका डडोत प्रणाम करते हुए पधारे  थे उस समय द्वारकानाथ और सुभद्रा के साथ पांडवों सहित देवताओं का मिलन राजारामजी  का इसी  जगह पर  हुआ था वही जगह पर आज आँजणा समाज का आश्रम बना है  और आप लोग इसमें भागीदार बने हो
 यह जगह द्वारका से १० किलोमीटर दुर चरकला गाँव से पहले जामनगर हाईवे पर है और साध्वी भगवती बाईजी का इस बर्ष २०१६ का चातुर्मास स्थल है

द्वारका में खारा पानी है यह २ किलोमीटर एरिया ही हरा भरा है बाकी द्वारका के आसपास 50 किलोमीटर तक पानी नहीं हैं  इस बिच में आँजणा समाज का आश्रम में मिठा पानी सुभद्रा का बगीचे का साक्षी बनकर आज भी संसार के सामने मौजूद है जामनगर हाईवे पर स्वामिनारायण  बाङी (गौशाला ) से आँजणा समाज का आश्रम तक २ किलोमीटर तक पुरा हरा भरा एरिया  है  बाकी जगह पर  पानी खारा है

माताजी ने बताया इसी जगह से ही सुभद्रा का हरण हुआ था
सुभद्रा अर्जुनजी यहाँ से रथ में बेठकर सिधे चेण्डा पहुँच कर विश्राम किया था  बाद में द्वारका की सेना और बलरामजी के साथ क्रष्ण भगवान ने आकर सुभद्रा अर्जुन दोनों का  धुम धाम से  विवाह करवाने की सहमति देकर सेना को लङाई करने से रोका था
इससे पहले बलरामजी सुभद्रा का विवाह दुर्योधन के साथ तय कर चुके थे  क्रष्ण भगवान को यह मंजूर नहीं था और सुभद्रा भी अर्जुन को पंसद करतीं थी इसलिए क्रष्ण भगवान ने योजना बनाकर दोनो को रथ से भागने का रास्ता बताया था और रथ सुभद्रा को हाकंने को कहा था
सुभद्रा बगीचे में उस समय के मंदिर में सहेलियों के साथ  दर्शन कर रहीं तभी अर्जुन रथ लेकर पहुचते है और सुभद्रा भागकर रथपर चढ़कर  रथ को दोङाते हुए भाग जाते है सहेलियों देखते ही रहती है और फीर द्वारका आकर पुरी बात बताती है

बलरामजी यह बात सुनकर कोर्धित होकर द्वारका की सेना को तुरन्त आदेश देते है  और सेना अर्जुन को पकङने  के लिए निकल जाती है बलरामजी क्रष्ण भगवान  को भी सुना रहें थे अर्जुन की इतनी हिम्मत केसे हुई मेरी बहन का हरण करने की   क्रष्ण भगवान जानते थे की बलराम भाई का गुस्सा कम होने तक बोलना ठीक नहीं है फीर बलरामजी  थोङे शान्त हुए तब क्रष्ण भगवान ने सुभद्रा की सहेलियो को बुलाया और पुछा और बलरामजी को भी सुनने को कहा क्रष्णा ने कहा घटना की पुरी जानकारी दो आप सब क्या कर रहीं थी तभी सहेलियों ने बताया की हमारे को समझ में आता तब तक तो वह भाग गयें क्रष्णा ने कहा अर्जुन ने जोर जबरदस्ती कीया तब आप क्या कर रही थी तब सुभद्रा की सहेलीयो ने बताया अर्जुन रथ लेकर खङे थे तभी सुभद्रा दोङकर रथ पर बैठ गयी और अर्जुन तो मना कर रहें थे की इस प्रकार भागना दोनो के लिए ठीक नहीं है लेकिन अर्जुन की जगह खुद सुभद्रा  रथ को दोङाकर भागेे है
क्रष्ण भगवान सब जानकर भी बलरामजी को शान्त करने के लिए सवाल  पुछ रहे थे और फीर  बलरामजी से बोले भैया सुभद्रा तो अर्जुन के साथ मर्जी से गयी है और अर्जुन भी नहीं चाहता था इस तरह  लेकिन सुभद्रा खुद रथ चलाकर भागी है बलरामजी ने कहाँ सेना को भेज दिया अभी क्या करें तभी क्रष्ण भगवान बलरामजी को साथ लेकर आज के चेण्डा घाम है यहाँ पर आकर सुभद्रा अर्जुन को मिलकर घुम धाम से विवाह करने की बात कर द्वारका और हस्तिनापुर से लाखों लोगो की साक्षी में दोनो का विवाह करवाते है  चेण्डा के पास दिवान्दी गाँव में तोरणिया मठ जगह है यहाँ पर तोरण की रस्म हुई थी

  चेण्डा धाम में उस समय सुभद्रा अर्जुनजी ने अग्नि की साक्षी में विवाह बंधन में बंधे थे उसी जगह पर चेण्डा धाम में पाण्डवों के मंदिर के सामने  यज्ञशाला बनी है और जो रथ है यहाँ पर  सुभद्रा अर्जुनजी का रथ द्वारका से आकर रूका था  सुभद्रा अर्जुनजी की देवभूमि पर चेण्डा में भव्य सुभद्रा अर्जुन सहित पांडवों का मंदिर  बना है यह सुभद्रा अर्जुनजी के  साथ पुरे संसार  में यह पहला मंदिर है

 देवभूमि  का रहस्य कोई तपस्वी या अवतारी  ही खोज कर संसार के सामने उजागर कर सकते है उनका उद्देश्य ही जगत कल्याण और प्रभु की ईच्छा और आदेशों की पालना करने की होती है माताजी समय समय पर कहती है जैसे प्रभु की ईच्छा मेरे को तो उनकी आज्ञा की पालना करनी है करनेवाले वही है इसी में सब सार मिल जाता है

द्वारका आश्रम के लिए माताजी ने नाशिक  २०१५ के महाकुम्भ से पहले ही खंबाला आश्रम में गुजरात से  गुरूपुर्णीमा के दिन आश्रम में दर्शन को पधारे श्री बाबराभाई श्री  वोताभाई सहित पाँच लोगो को द्वारका में आश्रम के लिए भुमि  देखने के लिए जाने का आदेश दिया था  आप लोग १५ दिन अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में द्वारका जाकर पहले द्वारकानाथ को अर्ज कर बता देना की  हम आपकी बहन सुभद्रा के   झौपङी के  लिए जगह देखने के लिए आए है सो हमें दिशा और जगह दिखाने  की व्यवस्था करवाने की दया करना

माताजी ने कहा मेरा कह देना की आपकी  भगवती  नाशिक में आपके आदेश की पालना कर रहीं है  रूपये पैसे लेन देन सब व्यवस्था आपको करनी है
यहाँ नाशिक में भी उधार से काम चला रही हैं  पुरे नाशिक कुम्भ मेले की व्यवस्था और द्वारका में जगह की सब आपको ही करनी है यह संदेश  द्वारकानाथ को मेरी तरफ से  बता देना और द्वारकानाथ से अनुमति लेकर जगह देखने के लिए निकल जाना
जगह देखकर बातचित करके रखना चातुर्मास पुर्ण होने के बाद मे हम  द्वारकानाथ को मिलकर आश्रम की जगह भुमि  तय कर चेण्डा जायेगें

माताजी के आदेश मुजब ही बाबराभाई और वोताभाई ने  द्वारका जाकर द्वारकानाथ के दर्शन कर माताजी के बताये अनुसार प्रभु से अर्ज कर माताजी  को फोन से बात किया उस समय माताजी ने द्वारका से १० किलोमीटर पहलें रास्ते में जहाँ हरा भरा ऐरिया और लोगों के घर बेरे है उनसे मिलना
माताजी के आदेश मुजब बाबराभाई वोताभाई ने जगह देखकर ४से ५ जगह बातचीत किया
जगह देखकर द्वारका आकर माताजी को बता दिया और माताजी ने आज द्वारका रूक जाना कल वापस घर चले जाना माताजी की आदेश की पालना कर सभी लोग द्वारका में रूक गये
उधर शाम को अाज जो आश्रम बना है यह जगह के मालिक अहीर यादवो के चारों भाईयों ने  मिलकर चर्चा किया और बुजुर्गों ने १५ से २० साल पुरानी बातों याद कर कहाँ की  महात्मा आये थे उन्होंने  बताया था की यह देवभूमि है और इसके लिए आपके पास १० से १५ साल बाद जब भी कोई देवताओं के  आश्रम के लिए जमिन लेने आएं तो दे देना यहाँ भव्य मंदिर बनेगा यह देव भुमि है
चारों भाईयो के परिवार ने तय किया की अगर महात्माजी के बताये मुजब ही कोई देवताओं के लिए जमिन लेने आए है तो मना नहीं करना चाहिये और बाबराभाई को  फोनकर बताया की माताजी को आने के समय हम इस भुमि के बारे में भी बात कर लेगें

माताजी ने त्रयंबकेश्वर मंदिर में रोज अभिषेक और कुशावर्त कुंड में स्नान करने जाते समय यह सब गाङी में अपने भक्तों के बीच बताते हुए कहा था यहीं अहीर अपने को जमिन देगें

नाशिक महाकुम्भ से चातुर्मास पुर्ण कर द्वारका गये उस समय आँजणा समाज के 50 से ज्यादा सदस्यों के साथ माताजी और चेण्डा आश्रम से भगत पदमारामजी आश्रम के लिए भुमि देखने निकलें  दो से तीन जगह रूककर माताजी को बताया लेकिन माताजी ने गाङी के अन्दर बेठे ही मनाई कर दिया जैसे ही आज जो आश्रम बना है यह जगह आते ही गाङी से उतरकर माताजी  पैदल ही घरों से पहले बाङ कुदकर खेत में पहँच गयें 
और खेत में बेठकर जगह का सौदा नक्की कर चेण्डा आश्रम के लिए प्रस्थान किया
13.07.2016 एकादशी के दिन मंदिर में तस्वीर स्थापना कर हवनकुण्ड में अग्नि की स्थापना कर पुर्णाआहुती कर अहीर समाज की माताओं व उपस्थित सभी सदस्यों को अचानक वह बात माताजी ने  याद दिलाई  उस समय अहीर यादव समाज की  राधे माँ को नाम से पुकारते हुए माताजी ने  बताया की जो महात्मा आपके पास आये वह द्वारकानाथ थे  आपको बाबाजी ने बताया था यह देवभूमि है यह लो मंदिर में पुजा चालु हो गई यह द्रश्य देखने लायक था अहीर यादव समाज की माताओं के इतना भाव विभोर होना अद्‍भुत द्रश्य था और इन्द्र देव ने उपस्थिति देकर पुरा आश्रम सहित द्वारका क्षेत्र  जोरदार बरसात कर  स्वागत किया 

जय द्वारकानाथ  की
जय सुभद्रा माता  की
जय राजेश्वर  भगवान की
जय अन्नपूर्णा माता की
जय आँजणी माता की
जय हंजा मैया की
 द्वारका घाम की जय
 शिकारपुरा धाम की जय
चेण्डा धाम की  जय
धन्य है आँजणा समाज जिस कुल में स्वंय भगवान ने राजेश्वर रुप मे अवतार लिया
                       जय राजेश्वर

रविवार, 19 अगस्त 2018

(अखिल भारतीय आँजणा पटेल युवा महासगठन) 29 जुलाई को जोधपुर से शिकारपुरा धाम तक हुई थी नशा मुक्ति महारैली जो,#राजस्थान के #मुख्यमंत्री #वसुंधरा राजे जी,#पूर्व #मुख्यमंत्री #अशोक #गहलोत जी,व #मंत्री, #सांसद एव #विधायक को ने भी बधाईया दी,{अखिल भारतीय आँजणा पटेल युवा महासगठन} के टीम को बहुत बहुत आभार-आप सभी को🙏🙏साथियों ऐसे सगठन से जुडो ताकि समाज का एव देश का नाम रोशन हो और वो सगठन है 【 अखिल भारतीय आँजणा पटेल युवा महासगठन 】👈🙏🙏

(अखिल भारतीय आँजणा पटेल युवा महासगठन)
29 जुलाई को जोधपुर से शिकारपुरा धाम तक हुई थी
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रविवार, 12 अगस्त 2018

संत शिरोमणि श्री श्री 1008 राजेश्वर भगवान का जीवन-परिचय

संत शिरोमणि श्री राजाराम जी महाराज का जीवन परिचय

राज ऋषि योगिराज बाल ब्रह्मचारी सिद्धचमत्कारी संत श्री श्री 1008 श्री राजाराम जी महाराज ने सांसरियों को अज्ञानता से ज्ञानता की ओर लाने के उद्देश्य से बच्चों को पढ़ाने-लिखाने पर अधिक जोर दिया। आपने जाति, धर्म, रंग आदि भेदों को दूर करने के लिए समय-समय पर अपने व्याख्यान दिये और बाल-विवाह, कन्या-विक्रय, मृत्यु भोज जैसी समाज की बुराईयों की अन्त करने का अथक प्रयत्न किया। आपने लोगों को नशीली वस्तुओं के प्रयोग से कोसों दूर रहने का उपदेश दिया और शोषण विहीन समाज की स्थापना के उद्देश्य को अपनी खुद की कमाई पर निर्भर होकर धर्मात्माओं की तरह समाज में पथ-प्रदर्शन किया। आप एक अवतार थे, इस संसार में आये और समाज के कमजोर वर्ग की सेवा करते हुए आज के ही दिन श्रावण वदि 14 संवत् 2000 को इस संसार को त्याग करने के उद्देश्य से जीवित समाधि लेकर चले गये। आपकी समाधि के बाद आपके प्रधान शिष्य श्री देवारामजी को आपके उपदेशों का प्रसार व प्रचार करने के उद्देश्य से आपकी गद्दी पर बिठाया और महन्त श्री की उपाधि से विभूषित किया गया।

भक्ति एक ऐसा मार्ग है, जिसके बिना जीवन का कोई अर्थ ही नहीं । मनुष्य जब संसार में जन्म लेता  है, तो उसके साथ ही नैसर्गिक रूप से आस्था, प्रेम और आनंद के संस्कार भी साथ आते हैं। लेकिन मनुष्य ज्यों-ज्यों बड़ा होता है, अपने प्रारब्ध कर्मों के कारण इन स्थितियों में अंतर आता जाता है। कुछ आत्माएं ऐसी होती हैं, जो अपने पूर्व जन्म में इस प्रकार के पुण्य कार्य करती है कि मनुष्य जन्म में वे संत के रूप में जन्म लेकर न केवल अपनी आत्मा का कल्याण करते हैं, बल्कि वे पूरी मानवता के लिए पोषक होते हैं।

राजस्थान की भूमि पर आंजणा चौधरी समाज ने एक ऐसे ही संत हुए, जिन्होंने मानव मात्र को अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाने का मार्ग बताया। सच्चे अर्थों में वे ऐसे पूज्य पुरूष थे, जिन्होंने जाति, धर्म, रंग आदि भेदों से वे स्वयं दूर रहते हुए मानव को भी इनसे दूर रहने की सलाह दी। चौधरी समाज ही नहीं, अपितु पूरे सनातन समुदाय को ऐसे संत पर गर्व सहसूस होता है।

श्री राजारामजी महाराज का जन्म चेत्र शुक्ला 9 सम्वत् 1939 को, जोधपुर तहसील के गाँव शिकारपुरा में, पटेल कलबी वंश की सी खांप में एक किसान के घर हुआ था। जिस समय आपकी आयु लगभग दस वर्ष की थी आपके पिता श्री हरीरामजी का देहान्त हो गया और उसके कुछ समय आपकी माता श्रीमती मोतीबाई का भी स्वर्गवास हो गया।

माता-पिता के मृत्योपरान्त आपके बड़े भाई श्री रघुनाथरामजी संन्यासियों की जमात में चले गये और आप कुछ समय तक अपने चाचा श्री थानारामजी व कुछ समय अपने मामा श्री मादारामजी भूरिया , गांव धांधिया के पास रहने लगे। बाद में शिकारपुरा के रबारियों की सांडियों रोटी कपड़ों के बदले एक साल तक चराई और गांव की गायें भी बिना हाथ में लाठी लिए दो साल तक राम रटते चराई।

गांव की ग्वाली छोड़ने के बादन आपने गांव के ठाकुर साहब के घर 12 रोटियां प्रतिदिन और कपड़ों के बदले हाली का काम सम्भाल लिया। इस समय आपके होठ केवल ईश्वर के नाम रटने में ही हिला करते थे। एक दिन आपके मन में दान-पुण्य करने का विचार आया, लेकिन आप एक सम्पत्ति रहित व्यक्ति के कारण दान-पुण्य में देने के लिए आने पास अन्य कोई वस्तु न देखकर, अपने को मिलने वाले भोजन का आधा भाग नियमित रूप से कुत्तों का डालना शुरू कर दिया। जिसकी शिकायत ठाकुर साहब से होने पर 12 रोटियां के स्थान 6 रोटियां में से 3 रोटियां व 3 में से 1 रोटी ही प्रतिदिन शुरू कर दिया। लेकिन दानवीर ने दानशीलता न छोड़ी और आधा भाग नियमित रूप से कुत्तों को डालते ही रहे।

इस प्रकार की ईश्वर भक्ति और दानशील स्वभाव से प्रभावित होकर देव भारती के नाम के एक पहुंचवान बाबाजी ने (जो शिकारपुरा के तालाब पर मीठावानिया बेरे के पास, जिस पर श्री राजाराम रिजका पिलाने का काम करते थे, अपना आसन जमाकर रहा करते थे) एक दिन श्री राजारामजी को अपना सच्चा सेवक समझ कर अपने पास बुलाया और अपनी  रिद्धि-सिद्धि श्री राजारामजी को देकर बाबाजी ने जीवित समाधि ले ली। उसी दिन उधर ठाकुर साहब ने विचार किया राजिया (श्री राजारामजी का ग्रामीण नाम) को वास्तव में एक रोटी प्रतिदिन कम ही है और किसी भी व्यक्ति को जीवित रहने के लिए काफी नहीं है, अत: ठाकुर ने आपके भोजन की मात्रा फिर से निश्चित करने के उद्देश्य से उन्हें अपने घर भोजन करने बुलाया।

शाम के समय श्री राजारामजी ईश्वर का नाम लेकर ठाकुर साहब के यहां भोजन करने के लिए गये। आपने बातों ही बातों में साढ़े सात किलो वजन के आटे की रोटियां अरोग ली फिर भी आपको भूख मिटाने का आभास नहीं हुआ। ठाकुर व उसकी पत्नि यह देखकर अचरज करने लगी। उसी दिन शाम को श्रीराजारामजी अपना हाली का धंधा ठाकुर को सौंप कर तालाब पर जोगमाया के मंदिर में आकर रामनाम रटने बैठ गये। उधर गांव के लोंगों को चमत्कार का समाचार मिलने पर उनके दर्शनों के लिए आने का ताता बंध गया।

दूसरे दिन आपने द्वारका तीर्थ करने का विचार किया और आप दण्डवत करते-करते द्वारका रवाना हुए। पांच दिनों में शिकारपुरा से पारलु पहुंचे और एक पीपल के पेड़ के नीचे हजारों नर – नारियों के बीच अपना आसन जमाया और उनके बीच से एकाएक इस प्रकार गायब हुए कि किसी को पता न लगा।

दस मास बाद द्वारका तीर्थकर आप शिकारपुरा में जोगमाया के मंदिर में प्रकट हुए और अदभुत चमत्कारी बातें करने लगे जिस पर विश्वास कर लोग उनकी पूजा करने लग गये। आपको जब लोग अधिक परेशान करने लग गये तो आपने 6 मास का मौन रखा। जब आपने शिवरात्रि के दिन मौन खोला उस समय उपस्थित हजार नर-नारियों को व्याख्यान दिया और अनेक चमत्कार बताये जिनका वर्णन आपकी जीवन चरित्र नामक पुस्तक में विस्तार से किया गया है।

महादेवजी के उपासक होने के कारण आपने शिकारपुरा तालाब पर एक महादेवजी का मंदिर बनवाया, जिसको आजकल हम श्री राजारामजी के मंदिर के नाम से पुकारते हैं। जिसकी प्रतिष्ठा करते समय अपने भाविकों व साधुओं का सत्कार करने के लिए प्रसाद के स्वरूप नाना प्रकार के पकवान बनवाये, जिसमें 250 क्विंटल घी खर्च किया गया। उस मंदिर के बन जाने पर आपके बड़े भाई रघुनाथजी भी जमात से पधार गये और दो साल साथ-साथ तपस्या करने के बाद श्री रघुनाथरामजी ने समाधि ले ली। आपके भाई की समाधि के बाद आपने अपने स्वयं के रहने के लिए एक बगीची बनाई, जिसको आजकल श्रीराजाराम आश्रम के नाम से पुकारा जाता है।

श्री राजारामजी महाराज ने सांसरियों को अज्ञानता से ज्ञानता की ओर लाने के उद्देश्य से बच्चों को पढ़ाने-लिखाने पर अधिक जोर दिया। आपने जाति, धर्म, रंग आदि भेदों को दूर करने के लिए समय-समय पर अपने व्याख्यान दिये और बाल-विवाह, कन्या-विक्रय, मृत्यु भोज जैसी समाज की बुराईयों की अन्त करने का अथक प्रयत्न किया। आपने लोगों को नशीली वस्तुओं के प्रयोग से कोसों दूर रहने का उपदेश दिया और शोषण विहीन समाज की स्थापना के उद्देश्य को अपनी खुद की कमाई पर निर्भर होकर धर्मात्माओं की तरह समाज में पथ-प्रदर्शन किया। आप एक अवतार थे, इस संसार में आये और समाज के कमजोर वर्ग की सेवा करते हुए श्रावण वदि 14 संवत् 2000 को इस संसार को त्याग करने के उद्देश्य से जीवित समाधि लेकर चले गये। आपकी समाधि के बाद आपके प्रधान शिष्य श्री देवारामजी को आपके उपदेशों का प्रसार व प्रचार करने के उद्देश्य से आपकी गद्दी पर बिठाया और महन्त श्री की उपाधि से विभूषित किया गया।

''आपके माता-पिता और गुरूजन इस संसार के देवता हैं, उनकी सेवा करो- पूज्यनीय श्री राजारामजी महाराज''
न्यूज रिपोर्ट/: जगदीश आॅजणा खेतलावास 

शुक्रवार, 10 अगस्त 2018

*हर प्राण को शुद्ध श्वास की जरूरत होती है, जरूरत को पूरा करने के लिए पौधारोपण करना ईश्वर की भक्ति के समान है :- गुलाब महाराज* News लुम्बो की ढाणी 10 अगस्त18 न्यूज रिपोर्ट जालौर जगदीश आॅजणा खेतलावास। । अखिल भारतीय आँजणा(पटेल)युवा महासंगठन सायला क्षेत्र के युवा विरो द्वारा पर्यावरण बचाओ,व्रक्ष लगाओ अभियान व संत श्री राजाराम महाराज की पुण्य तिथि पर श्री राजाराम बगीची आश्रम पर आश्रम महंत श्री गुलाबराम जी महाराज के सानिध्य में फल, फूल, छायादार 50 पौधे रोपण सायल युवा तहसील अध्यक्ष चिमनाराम चौधरी की अगुवाही में अभियान चलाया गया इस अभियान पर महंत गुलाबराम महाराज ने आशीर्वाद देकर बताया कि पौधरोपण से धरती के बिगड़ते असंतुलन को रोका जा सकता है, साथ ही सनातन धर्म मे अलग अलग पेड़ो की पूजा होती है ,जहा अत्यधिक पेड़ होते है वहा वर्षा भी अत्यधिक होती है और मौसम के संतुलन पर किसानों की फसल की पैदावार भी अत्यधिक होती है साथ जीव जंतु का आवास उन्ही स्थानों पर होता बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए हर व्यक्ति को पौधों से प्रेम कर अत्यधिक पौधे लगाए , युवा महा संगठन द्वारा समय समय पर मानव व वन्यजीवो के प्रति कार्यो को सराहनीय कदम बताया पर्यावरण बचाओ अभियान पर हबताराम चौधरी,दुदाराम चौधरी, सुजानाराम चौधारी, रघुनाथराम चौधरी, रूपाराम, सवाराम,हड़मतराम चौधरी समेत गण मान्य लोग मौजूद रहे

*हर प्राण को शुद्ध श्वास  की जरूरत होती है, जरूरत को पूरा करने के लिए पौधारोपण करना ईश्वर की भक्ति के समान है :- गुलाब महाराज*

News लुम्बो की ढाणी
10 अगस्त18
न्यूज रिपोर्ट जालौर जगदीश आॅजणा खेतलावास
अखिल भारतीय आँजणा(पटेल)युवा महासंगठन  सायला क्षेत्र के युवा विरो द्वारा पर्यावरण बचाओ,व्रक्ष लगाओ अभियान व संत श्री राजाराम महाराज की पुण्य तिथि पर  श्री राजाराम बगीची आश्रम पर  आश्रम महंत श्री गुलाबराम जी महाराज के सानिध्य में फल, फूल, छायादार 50 पौधे रोपण सायल युवा तहसील अध्यक्ष चिमनाराम चौधरी की अगुवाही में   अभियान चलाया गया
इस अभियान पर महंत गुलाबराम महाराज ने आशीर्वाद देकर बताया कि पौधरोपण से धरती के बिगड़ते असंतुलन को रोका जा सकता है, साथ ही सनातन धर्म मे   अलग अलग पेड़ो की पूजा होती है ,जहा अत्यधिक पेड़ होते है वहा वर्षा भी अत्यधिक होती है और मौसम के संतुलन पर किसानों की फसल की पैदावार भी अत्यधिक होती है साथ जीव जंतु  का आवास उन्ही स्थानों पर होता बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए हर व्यक्ति को पौधों से प्रेम कर अत्यधिक पौधे लगाए , युवा महा संगठन द्वारा समय समय पर मानव व वन्यजीवो के प्रति कार्यो को सराहनीय कदम बताया
पर्यावरण बचाओ अभियान पर हबताराम चौधरी,दुदाराम चौधरी, सुजानाराम चौधारी, रघुनाथराम चौधरी, रूपाराम, सवाराम,हड़मतराम चौधरी समेत गण मान्य लोग मौजूद रहे

बुधवार, 8 अगस्त 2018

*अखिल भारतीय आँजणा(पटेल) युवा महासंगठन संत राजाराम महाराज पुण्य तिथि पर सभी क्षेत्रों में 5 हजार पौधा रोपण करेगा* 🚩🇮🇳🌴🚩🇮🇳🌴🚩🇮🇳🌴 News 7 अगस्त अखिल भारतीय आँजणा(पटेल) युवा महासंगठन द्वारा हर वर्ष की भांति संत राजाराम महाराज पुण्यतिथि पर देश भर में होर्षोउल्लास के साथ मनाया जाएगा ,युवा महासंगठन के राष्ट्रीय महामंत्री सर भेराराम चौधरी ने बताया कि गुरु पुण्य तिथि पर धार्मिक भजन कीर्तन पूजा पाठ के साथ ,सभी क्षेत्रों में प्रकर्ति को बचाओ को लेकर ग्राम इकाई ,तहसील स्तर, जिला स्तर, महानगर में छायादार पौधे लगाकर धूम धाम से मनाया जाएगा राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश समेत 16 राज्यो में गुरु पुण्यतिथि धूम धाम से मनाई जाएगी 🌴🌳🌴🌳🌴🌳🌴🌳🌴🌳


*अखिल भारतीय आँजणा(पटेल) युवा महासंगठन संत राजाराम महाराज पुण्य तिथि पर सभी क्षेत्रों में 5 हजार पौधा रोपण करेगा*
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News 7 अगस्त

अखिल भारतीय आँजणा(पटेल) युवा महासंगठन द्वारा हर वर्ष की भांति संत राजाराम महाराज पुण्यतिथि पर देश भर में होर्षोउल्लास के साथ मनाया जाएगा ,युवा महासंगठन के राष्ट्रीय महामंत्री सर भेराराम चौधरी ने बताया कि गुरु पुण्य तिथि पर धार्मिक भजन कीर्तन पूजा पाठ के साथ ,सभी क्षेत्रों में प्रकर्ति को बचाओ को लेकर ग्राम इकाई ,तहसील स्तर, जिला स्तर, महानगर में छायादार पौधे लगाकर धूम धाम से मनाया जाएगा राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश समेत 16 राज्यो में गुरु पुण्यतिथि धूम धाम से मनाई जाएगी
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सोमवार, 6 अगस्त 2018

आँजणा समाज के आराध्य गुरुदेव, मानवता के पथ प्रदर्शक लोक मंगल के प्रणेता, जाति-समाज के सुधारक राजॠषि योगीराज बाल ब्रहमचारी सिद्ध चमत्कारी संत परम पूजनीय प्राता:भगवान स्वरूपी अवतारी #श्री_श्री_1008_राजेश्वर_भगवान_की_पुण्यतिथि_पर उन्हे शत-शत नमन। कोटि कोटि वंदन।

आँजणा समाज के आराध्य गुरुदेव, मानवता के पथ प्रदर्शक लोक मंगल के प्रणेता, जाति-समाज के सुधारक राजॠषि योगीराज बाल ब्रहमचारी सिद्ध चमत्कारी संत परम पूजनीय प्राता:भगवान स्वरूपी अवतारी #श्री_श्री_1008_राजेश्वर_भगवान_की_पुण्यतिथि_पर उन्हे शत-शत नमन। कोटि कोटि वंदन। 

शनिवार, 4 अगस्त 2018

अखिल भारतीय आँजणा(पटेल) युवा महासंगठन हर हमेशा राष्ट्र व समाज उत्थान की ओर आगे बढ़कर मानव सेवा की ओर आओ हमसब मिलकर युवा संगठन का पुरजोर साथ दे

अखिल भारतीय आँजणा(पटेल) युवा महासंगठन हर हमेशा राष्ट्र व समाज उत्थान की ओर आगे बढ़कर मानव सेवा की ओर आओ हमसब मिलकर युवा संगठन का पुरजोर साथ दे

अखिल भारतीय आँजणा पटेल युवा महासंगठन जालौर

गुरुवार, 2 अगस्त 2018

मंहन्त श्री श्री दयारामजी महाराज शिकारपुरा
हैदराबाद में समाज बनधुओ के साथ चर्चा करतें हुए

जालौर सिरोही सांसद श्री लुबारामजी चौधरी

लुम्बाराम चौधरी शुरू से ही बीजेपी के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं. सिरोही पंचायत समिति के एक बार प्रधान, जिला परिषद सदस्य व दो बार सिरोही बीजेप...